*3 मुखी Rudraksha* Benefits:
रुद्राक्ष का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। शास्त्रों में रुद्राक्ष को भगवान शिव का ही रूप माना जाता है। मान्यता है कि रुद्राक्ष को धारण करने वाले लोगों के जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। जो लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं, उनके ऊपर भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा रहती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है। रुद्राक्ष धारण करने से धार्मिक ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य लाभ भी होता है। रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं। इन सभी रुद्राक्ष की अपनी एक अलग महिमा होती है। इन्ही में से एक है तीन मुखी रुद्राक्ष। तीन मुखी रुद्राक्ष को त्रिशक्तियों का प्रतीक माना जाता है। इसे गले में धारण करने से व्यक्ति को कई प्रकार की शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति का मन शुद्ध रहता है। चलिए आज जानते हैं तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने के फायदे….
तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने के फायदे
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तीन मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करने से मंगल और सूर्य से संबंधित ग्रह दोषों का नाश होता है। तीन मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करने से चेहरे का तेज बढ़ता है और बल की वृद्धि भी होती है। वहीं विद्यार्थियों के लिए रुद्राक्ष पहनना बेहद लाभकारी होता है। मान्यता है कि विद्यार्थियों को रुद्राक्ष धारण करने से उनमें ऊर्जा और साहस की बढ़ती है।
तीन मुखी रुद्राक्ष का संबंध मंगल देवता से है। इसलिए मेष और वृश्चिक राशि वालों के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना बेहद फायदेमंद रहता है। ज्योतिष के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह नकारात्मक या अशुभ स्थिति में विराजमान है वो लोग भी तीन मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
तीन मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करने से चेहरे का तेज बढ़ता है और बल की वृद्धि होती हैं। इसके प्रभाव से व्यक्ति के अंदर आलस दूर होता है और शरीर में जोश आती है।
ज्योतिष के अनुसार, नौकरी करने वाले लोगों को तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से कार्य क्षेत्र में सफलता मिलती है। साथ ही मान सम्मान प्राप्त होता है।
*रुद्राक्ष धारण करने के नियम*
रुद्राक्ष को हमेशा लाल या पीले रंग के धागे में ही धारण करें।
इसे कभी अशुद्ध हाथों से न छुएं और स्नान करने के बाद शुद्ध होकर ही इसे धारण करें।
रुद्राक्ष धारण करते समय शिव जी के मंत्र ऊं नमः शिवाय का उच्चारण करना चाहिए।
स्वयं का पहना हुआ रुद्राक्ष कभी भी किसी दूसरे को धारण करने के लिए नहीं देना चाहिए।
यदि आप रुद्राक्ष की माला बनवा रहे हैं तो हमेशा ध्यान रखें कि विषम संख्या में ही रुद्राक्ष धारण करें।