इच्छित व्यक्ति से विवाह
परिवर्तन सृष्टि का नियम है जो पुरातन काल के नियम है वह आज के परिपेक्ष में सही हों जरुरी नहीं हैं प्रत्येक ज्योतिषी जन्म कुंडली के बारह स्थानों के ग्रह , उनके परस्पर योग तथा षडवगॅबल आदि का विचार कर उस मनुष्य को जीवन मैं कैसे फल मिलेंगे इस कि रुपरेखा बना लेता हैं| भविष्य कि बातें या घटना होने का कालनिर्णय करना सबसे कठिन कार्य है| शास्त्र से किसी स्थूल बात कि साधारण कल्पना मालूम होती है — इस का विशिष्ट स्वरुप मालूम नहीं होता | कृष्णमूर्ति पध्धति के माध्यम से सटीक फलकथन करना कोई मुश्किल बात नहीं है . यदि कोई इस विधा से प्रश्न का हल करें तो ८० प्रतिशत तक फलकथन सही हो सकता है . मेरे पास देश विदेश के लोग इंटरनेट के माध्यम से जुडते है | ऐसा ही एक क्लाइंट जो कि अमेरिका ( US ) में रहते हैं उन्होंने मुझे एक प्रश्न किया कि जिसका वे मन मैं विचार कर रहे हैं उससे उनका वैवाहिक सम्बन्ध जुडेगा कि नहीं ?
प्रश्न : इच्छित व्यक्ति से विवाह होगा कि नहीं ?
होररी नम्बर ( १ – २४९ ) : ६३
दिनांक : १३-०५-२०११
समय : १२:०२ :५२
स्थान : नक्षत्र ज्योतिष केंद्र , मिनाल माल , भोपाल
७७ E २७ , २३ N ०७ ( Geocentric )
अयनांश : कृष्णमूर्ति ( पुराना ) २३:५५ :३२
भिन्नलिंग , यौन सुख और कानूनी बंधन यह विवाह बंधन के प्रमुख हिस्से हैं , अतः सप्तम स्थान तथा द्वितीय स्थान और लाभ स्थान यह सहायक स्थान है .
नियम :
१ सप्तम भाव का उपनक्षत्र यदि २ ,७ और ११ स्थान का सूचक हो तभी विवाह संभव होगा .
२ सप्तम स्थान यानी कि वह व्यक्ति जिसके बारे मैं प्रश्नकर्ता विवाह के लिए मन में विचार कर रहे हैं |
३ सप्तम का उपनक्षत्र २,७ व ११ स्थान से बारहवां स्थान १ ,६ और १० का सूचक नहीं होना चाहिए |
चंद्र व लग्न उपनक्षत्र गणना
प्रश्न शास्त्र द्वारा कुंडली विवेचन हेतु सबसे पहले यह देखना चाहिए कि जातक या जातिका के मन में वाकई प्रश्न का उत्तर जानने कि इच्छा है या बस बिना किसी कारण यह प्रश्न कर रहे है | इसके लिए हमें
चंद्र व लग्न ऊपनक्षत्र के सूचक देखने चाहिए | सम्बंधित प्रश्न में चन्द्रमा लग्न का उपनक्षत्र है व साथ ही ११वे भाव का उपनक्षत्र भी है | प्रथम भाव स्वयं को इंगित करता है और ११वां भाव मन कि इच्छापूर्ति इंगित करता है | इस प्रकार चन्द्रमा व लग्न उपनक्षत्र दोनों ही प्रश्न वाले भाव के सूचक होते हैं | इसका मतलब प्रश्न करने वाले का प्रश्न सही है | अब हम कृष्णमूर्ति पध्धति के नियमानुसार देखेंगे कि इस प्रश्न का उत्तर क्या होगा |
भाव गणना
द्वितीय भाव : कर्क ( २४:२०:२४ ) —- चंद्र — बुध — राहू
द्वितीय भाव कुटुंब का होता है | विवाह होने पर घर या कुटुंब मैं एक सदस्य बढ़ जाता है | इसीलिए विवाह हेतु द्वितीय स्थान देखना जरूरी होता है | प्रस्तुत प्रश्न मैं द्वितीय भाव का उपनक्षत्र राहू है जो कि छटवे भाव में स्थित है , साथ ही राहू केतु के नक्षत्र में स्थित है जो कि स्वयं ही १२वे भाव में स्थित है | इस प्रकार द्वितीय का उपनक्षत्र राहू ६वे का द्वितीय श्रेणी का सूचक है और १२वे भाव का प्रथम श्रेणी का सूचक है | इस प्रकार राहू प्रश्नकर्ता के उत्तर के लिए नेगटिव है |
सप्तम भाव : मकर ( ००:००:०१ ) — शनि — सूर्य — राहू
जैसा कि ऊपर हम पहले ही विवेचन कर चुके है राहू सम्बंधित भाव से विरोधी भावों का सूचक है और वोह भी प्रथम व द्वितीय श्रेणी का | प्रस्तुत प्रश्न जिस प्रकार का हैं उसमे सप्तम भाव के उपनक्षत्र का २,७ और ११वे भाव का सूचक होना बहुत जरुरी है परन्तु यह तो विरोधी भावों का सूचक है| इसलिए राहू प्रश्नकर्ता के लिए नेगटिव है |
ग्यारहवां भाव : मेष ( २७:२३:१० ) — मंगल — सूर्य — चंद्र
ग्यारहवें भाव का उपनक्षत्र चंद्र है जो कि ३रे भाव में स्थित है | यह सूर्य के नक्षत्र में स्थित है जो कि ११वे भाव में स्थित है | इस प्रकार चंद्र ११वे भाव का प्रथम श्रेणी का सूचक हुआ जो कि प्रश्नकर्ता हेतु शुभ हुआ | परन्तु चन्द्रमा का यदि हम उपनक्षत्र देखें तो वो है राहू | राहू ऊपर दिए विवेचन से साफ़ दीखता है कि विरोधी भाव का सूचक है | इसका मतलब यह हुआ कि समय आने पर प्रश्नकर्ता व वह व्यक्ति जिससे वह विवाह करना चाहती है दोनों ही अपनी सहमति से अलग हो जायेंगे |
रूलिंग प्लेनेट्स
कृष्णमूर्ति प्रणाली में रूलिंग प्लेनेट्स का बहुत महत्व है और इसे हम हर प्रश्न के हल करते समय देखते हैं | प्रश्न हल करते समय के रूलिंग प्लेनेट्स
लग्न स्वामी — चंद्र
लग्न नक्षत्र —- बुध
चंद्र राशि स्वामी — बुध
चंद्र नक्षत्र स्वामी — सूर्य
दिन स्वामी — शुक्र
बुध व शुक्र दोनों ही दसवे एवं बारहवे स्थानं के सूचक हैं जो कि सप्तम भाव के प्रश्न हेतु अशुभ हैं |
इस प्रकार हम कृष्णमूर्ति प्रणाली द्वारा प्रश्न कुंडली का विवेचन कर इस उत्तर पर पहुचे के प्रश्नकर्ता का संभावित व्यक्ति के साथ वैवाहिक सम्बन्ध नहीं जुड सकता है | १९ जून २०११ के दिन प्रश्नकर्ता ने मुझे ईमेल करके बताया कि जिस व्यक्ति से विवाह हेतु उसने प्रश्न किया था उन दोनों ने अलग होने का फैसला कर लिया और आगे मिलने कि कोई सम्भावना भी नहीं है |
भगवान गणेश व गुरूजी को शत शत प्रणाम |